दीप दीप्ति

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Saturday, 18 April 2015

मेरी आकांक्षा

ऐ जिंदगी इतना साथ देना मैं पूरा करुं अरमान
 यही आकांक्षा है मेरी मैं छू लूं आसमान
मेहनत से पिछे न हटे मन को ये बात बता देना
 धैर्य विश्वास कभी न खोये दिल को ये समझा देना
 समाज मुझे दर्पण समझे ऐसी बनाऊं पहचान


 यही आकांक्षा है मेरी मैं छू लूं आसमान
देश को रौशन करुं चाहे खूद ही जलना पड़े
 आगे रहे हमारा परचम चाहे जितना चलना पड़े
 पतितों का बनूं सहारा पथिकों का सोपान
 यही आकांक्षा है मेरी मैं छू लूं आसमान


ईमानदारी की तिनकों से बनाऊं अपनी एक सुंदर आसियाँ
 चरित्र की पूँजी से धनी कर दूं मैं अपनी वादियाँ
 मातृभूमि को भी मेरे जन्म पर हो अभिमान
 यही आकांक्षा है मेरी मैं छू लूं आसमान
@दीपिका कुमारी दीप्ति (पटना)

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