दीप दीप्ति

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Monday, 13 April 2015

भगवान की वरदान:बेटी

भगवान की वरदान है बेटी रेगिस्तान में गुल
 खिलाती है
 वह घर स्वर्ग बन जाता है जिस घर में बेटी
 आती है
 अपने प्रिय खिलौने भी दे देती छोटे भ्राता को
 बचपन से ही काम में सहारा देती माता
 को
 खुद कभी नहीं रुठती हरदम सबको मनाती है
 वह घर स्वर्ग बन जाता है जिस घर में बेटी
 आती है
जान से ज्यादा इज्जत को रखती है सम्हाल
 बाबुल की पगड़ी ऊँची करके जाती है ससुराल
 बाबुल पर विश्वास इसे खुद इच्छा नहीं जताती
 है
 वह घर स्वर्ग बन जाता है जिस घर में बेटी
 आती है
मायके में ही छोड़ आती है अपनी पहचान और
 परिवार
 बस अपने साथ में ले आती है माता का संस्कार
 खूद दिल में दर्द छुपाके सभी को ये हँसाती है
 वह घर स्वर्ग बन जाता है जिस घर में बेटी
 आती है
फिर भी देखो समाज की कैसी संकीर्ण है सोच
 लक्ष्मी को दहेज़ के युग में समझने लगे हैं बोझ
 धरा पर आने से पहले ही भ्रूण हत्या की जाती
 है
 वह घर स्वर्ग बन जाता है जिस घर में बेटी आती है

2 comments:

  1. बिल्कुल सही बात है पर ये समाज इतनी छोटी सी बात को नहीं समझ पा रहा है।

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